एक दिन, शहर की सबसे बड़ी आर्ट गैलरी ने, एक कॉम्पिटीशन करवाया। शांति और सुकून को दर्शाती पेंटिंग्ज का कॉम्पिटीशन। आनंद के पापा भी, अपने दोस्त के साथ वहां पहुंचे, क्योंकि उसने भी पार्टिसिपेट किया था! हजारो पेंटर्स ने, अपनी-अपनी पेंटिंग के साथ कॉम्पिटीशन में पार्टिसिपेट किया। सभी पेंटिग्ज, एक से बढि़या एक थी। कोई पेंटिंग सुबह के शांत माहौल को दिखा रही थी, तो किसी पेंटिंग में, शांत नदी में रात का प्रतिबिंब नजर आ रहा था। एक पेंटिंग ऐसी थी, जिसमें आसमान में बिजली गरज रही थी, आंधी तूफान चल रहा था। और इसी पेंटिंग ने फर्स्ट प्राइज जीता। लोगों को लगा- कि विनर डिसाइड करने में शायद, कोई गलती हुई है। क्योंकि इस पेंटिंग में तो, शांति और स्थिरता जैसा कुछ है ही नहीं।
तभी, वहां खड़े एक जज ने कहा- आप सभी को इस पेंटिंग में, चारों तरफ तबाही दिखी, लेकिन इसे गौर से देखिए, इसमें एक छोटा सा घर है, जिसकी खिड़की में एक आदमी नजर आ रहा है। उसके चेहरे पर, डर नहीं, बल्कि हल्की मुस्कुराहट है। और यही, शांति का असली मतलब है। शांति का असली मतलब यही है कि चाहे, जिंदगी में कितनी भी उथल-पुथल, क्यों न मची हो, लेकिन आप अंदर से शांत हों।